नई दिल्ली, 22 मई 2025 (अपडेटेड 12:30 PM IST)
पाकिस्तान के नए फील्ड मार्शल आसिम मुनीर का बढ़ता प्रभाव और पहलगाम आतंकी हमले में संभावित भूमिका, देश के इतिहास में एक परिचित पैटर्न की ओर इशारा कर रही है। क्या यह 1999 के करगिल युद्ध और परवेज मुशर्रफ के तख्तापलट जैसी घटनाओं का दोहराव है?
मुशर्रफ vs मुनीर: समानताएं
रणनीति:
*1999*: मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को बिना बताए करगिल में घुसपैठ की योजना बनाई।
*2025*: मुनीर पर पहलगाम हमले की प्लानिंग और भारत-विरोधी बयानबाजी का आरोप।
प्रोपेगैंडा:
मुशर्रफ ने करगिल की विफलता को "विजय" के रूप में पेश किया।
मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना की छवि मजबूत करने का प्रयास किया।
राजनीतिक महत्वाकांक्षा:
मुशर्रफ ने 1999 में नवाज शरीफ का तख्तापलट किया।
विश्लेषकों के अनुसार, मुनीर का बढ़ता दबदबा शहबाज शरीफ सरकार के लिए खतरा बन सकता है।
पहलगाम हमला: सेना का गेम?
मुनीर ने हमले से पहले "दो-राष्ट्र सिद्धांत" का जिक्र कर हिंदू-मुस्लिम तनाव भड़काया।
पाकिस्तानी पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित (बीबीसी को इंटरव्यू में): "यह संदेश था कि सेना ही वास्तविक सत्ता है।"
शहबाज शरीफ की मुश्किलें
सेना का बढ़ता दखल सरकार की साख घटा रहा है।
द वाशिंगटन पोस्ट: "शहबाज को सेना के साथ नाजुक संतुलन बनाना होगा, नहीं तो सत्ता खतरे में।"
मुशर्रफ का अंत: एक चेतावनी
2008 में मुशर्रफ को इस्तीफा देना पड़ा, और अंततः दुबई में अपमानित जीवन जीने के बाद उनकी मृत्यु हुई। क्या मुनीर भी इसी रास्ते पर हैं?
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(यह खबर हमारे रक्षा विश्लेषकों द्वारा तथ्यों की जांच के बाद लिखी गई है।)
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